IIT BOMBAY से वैराग्य तक की सच्ची कहानी:- IITian Baba Abhay Singh

कौन हैं इंजीनियर बाबा अभय सिंह?
बता दें इंजीनियर बाबा का नाम अभय सिंह हैं। इंजीनियर बाबा अभय सिंह का जीवन परिचय। उनके सोशल मीडिया के मुताबिक, वह हरियाणा के झज्जर के गांव सासरौली के रहने वाले हैं। अभय सिंह का दावा है कि वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT-BOMBAY) के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। दरअसल, अभय सिंह का पूरा नाम अभय सिंह ग्रेवाल है। (iit-bombay-baba-abhay-singh)

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इंजीनियरिंग के दौरान पढ़ते थे ह्यूमैनिटी
अभय सिंह का कहना है कि इंजीनियरिंग के दौरान उनका खासा झुकाव ह्नयुमिनिटी की ओर था। इस बाबत उन्होंने दर्शन से जुड़े अलग-अलग ग्रंथों और दार्शिनिकों को पढ़ा। इस दौरान उनकी डिजाइनिंग में भी रुचि बढ़ी। जिसके चलते उन्होंने दो सालों तक डिजाइनिंग भी सीखी। बाद में उन्होंने काफी समय तक फोटोग्राफी करने वाली एक कंपनी में भी काम किया, लेकिन कुछ समय बाद वहां से भी उनका मन उचाट हो गया। इस दौरान वे डिप्रेशन में चले गए। जिससे निकलने के लिए वे कनाडा में काम करने भी गए। जहां उन्होंने नौकरी भी की। जहां उनकी सैलरी तीन लाख प्रति महीने थी. उसके बाद सैलरी में इजाफा भी हुआ। हालांकि वहां भी उनका मन नहीं लगा। बाद में कोरोना के दौरान वे भारत आ गए। इसके बाद उन्होंने दर्शन से जुड़े विषयों का अध्ययन शुरू किया और अपने जीवन का सार समझने की कोशिश शुरू की। अब उनका कहना है कि उन्होंने अपना जीवन भगवान को समर्पित कर दिया है। भक्ति में उनको वो सुकून मिल रहा है जो वे खोज रहे थे।
‘ए ब्यूटीफुल प्लेस टू गेट लास्ट’, 195 पेज की वैरागी अभय सिंह द्वारा लिखी गई पुस्तक भी इस समय उनकी तरह खूब ट्रेंड कर रही है। बाकायदा अभय सिंह ने अपने इंस्टा प्रोफाइल पर लिंक भी डाला है, देखा जाए तो पुस्तक सही और गलत की कठोर धारणाओं को चुनौती देती है। मन और आत्मा के जंगल में अन्वेषण को प्रोत्साहित करती है। काव्यात्मक गद्य और गहन अंतर्दृष्टि के माध्यम से यह अस्तित्व के सार, प्रेम की प्रकृति और वास्तविक संबंध के महत्व पर प्रकाश डालती है।
क्या है आईआईटी बाबा की किताब में
महाकुंभ से वायरल हो रहे अभय सिंह के हर वीडियो से उनके जीवन से जुड़े पन्नों को पलटने का जिस तरह से काम हो रहा है, ठीक वैसे ही पुस्तक में यह जटिल विषयों से दूर नहीं जाती है। जिसमें उल्लिखित है सच्चे अन्वेषण के लिए साहस और पूर्वाग्रहों को छोड़ने की इच्छा की आवश्यकता होती है।
‘मैं’ और ‘तुम’ की सीमाओं को भंग कर देता
पुस्तक को अगर श्रेणीबद्ध किया जाए तो इसमें मानव अस्तित्व और अर्थ, स्वतंत्रता और सीमाएं, वर्तमान क्षण, प्रेम और स्वीकृति, बिना किसी डर के अन्वेषण, नियंत्रण का भ्रम, दार्शनिक चिंतन, मन और चेतना, द्वैत और अद्वैत, प्रश्नों की प्रकृति से लेकर इसमें ऐसे अन्य बिंदुओं का समावेश करते हुए लिखा गया है, जिसमें बताया गया है प्रेम सशर्त या दिशात्मक नहीं है, यह बिना किसी निर्णय के स्वयं और दूसरों की शुद्ध स्वीकृति है।

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आईआईटी बाबा अभय सिंह की प्रेम कहानी:
महाकुंभ 2025 प्रयागराज से वायरल हो रहे आईआईटी बाबा अभय सिंह की प्रेम कहानी भी सामने है। खुद ने ही बताया कि वे एक लड़की को कितना प्यार करते थे और दोनों की राहें जुदा क्यों हो गई? अभय सिंह के साधु बनने के बाद इनकी प्रेमिका किस हाल में है?
अभय सिंह ने बताया कि उनकी भी गर्लफ्रेंड थी, मगर उससे रिश्ता शादी वाली स्टेज नहीं तक पहुंच पाया। क्योंकि अभय सिंह उसको अक्सर बोला करते थे कि ‘यार, मुझे तो पता नहीं कि यह रिश्ता कैसे निभाया जाता है? मैं शादी कर लूंगा और फिर नहीं समझ आया तो कि यह स्क्रिप्ट कैसे प्ले करनी है।
इंटरव्यू में आईआईटी बाबा अभय सिंह ने बताया कि वह अपनी गर्लफ्रेंड के साथ चार साल रिलेशनशिप में रहे। एक फिल्म बनाने का जिक्र करते हुए आईआईटी बाबा अभय सिंह कहते हैं कि ‘फिल्म बनाने से सारी मेमोरी रिवाइब हो गई। फिर मैं ट्रोमा में चला गया और उसे (प्रेमिका) बोला कि देखो, मुझे तो कुछ महसूस ही नहीं होता।
आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र व बाबा अभय सिंह कहते हैं कि ‘उनके ट्रोमा में जाने वाली बात सुनकर प्रेमिका डरी नहीं थी, क्योंकि उन्होंने उसके ईमानदारी से अपनी फीलिंग शेयर की थी। इसलिए प्रेमिका को भी लगता था कि मैं सच में उसके प्रति कुछ महसूस नहीं कर पा रहा हूं। इस चक्कर में वह किसी दूसरे के प्रति झुकाव नहीं रख पा रही थी।

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क्या हुआ था IIT बाबा अभय सिंह के बचपन में, कैसे पैरेंट्स का आपसी रिश्ता बदल सकता है बच्चे का जीवन
आईआईटी बॉम्बे से पास आउट बाबा अभय सिंह आज अपना सब कुछ त्यागकर सन्यास के रास्ते पर चल पड़े हैं। क्या आप सोच सकते हैं कि इतने अच्छे एकेडमिक करियर के बाद कोई संत बन जाए? बिल्कुल नहीं! आखिर क्यों एक होनहार लड़का बैरागी बन गया और इस चमक धमक वाली दुनिया से उनका वास्ता ही उठ गया?
इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए IIT बाबा अभय सिंह से बात की गई तो ,उन्होंने अपने जीवन में हुए इन बदलावों के पीछे का कारण अपने घर में माता-पिता के कलेश को बताया। अभय सिंह कहते हैं कि, “जब यह सब कुछ घर में हो रहा होता है तो एक बच्चा ये समझ नहीं पाता है कि ये चल क्या रहा है। उस समय आप असहाय होते हैं। उस समय आपको यह पता नहीं होता है कि इस स्थिति में आपको कैसे रिएक्ट करना है, क्योंकि न तो आपकी समझ उस समय विकसित होती है और न ही आपके पास उस समय कोई और सहारा होता है।
बाबा अभय सिंह की इन बातों से जहन में कुछ सवाल उभरकर आते हैं. क्या वाकई घरेलू हिंसा या परिवारिक कलेश का बच्चे पर इतना गंभीर प्रभाव पड़ सकता है? कृपया कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।